शनिवार, सितंबर 13, 2014

तब हिंदी ने ही जगाया हमे...


[आप सब को 14 सितंबर यानी हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं...]
जब हम गुलाम थे,
 विश्व में गुम नाम थे,
मिट गयी थी हमारी पहचान,
 तब हिंदी ने ही  जगाया हमे...


हम कौन थे?
 कैसा था अदीत हमारा?
हम क्यों गुलाम हुए,
ये हिंदी ने ही  बताया हमे...

कहीं मंदिर मस्जिद का झगड़ा था,
कोई मांग रहे थे  खालीस्तान,
पानी पर  भी विवाद था,
हिंदी ने ही  एक बनाया हमे...

जिन से हमने आजादी पाई,
भाषा उनकी ही अपनाई,
सोचो  कैसे आजाद हैं हम?
ये अब तक समझ न आया हमे...

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-09-2014) को "मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद" (चर्चा मंच 1736) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हिन्दी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. सर आप को भी हिन्दी दिवस की असंख्य शुभकामनाएं...

      हटाएं
  2. आप को भी मेरी ओर से असंख्य शुभकामनाएं...हिंदी दिवस की...

    जवाब देंहटाएं

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